Monday, July 30, 2012

तुम मिसरी सी मीठी ..


तुम मिसरी सी मीठी ..
क्यों अंगूर बन जाती हूँ ...
कभी खट्टी तो कभी मीठी हो जाती हो .....

क्यों हर बार मेरा गुनाह याद दिलाती हो
मुझे तो याद नहीं रहती ,
क्यों शादी की सालगिरह मुझे याद दिलाती हो....

हर बात कहती हो मुझे कुछ नहीं चाहिए ,
हम ज्यादा खर्च नहीं करेंगे ,
और हर बार मेरा बैंक खता साफ कर जाती हो

तुम मिसरी सी मीठी ..
क्यों अंगूर बन जाती हूँ .
कभी खट्टी तो कभी मीठी हो जाती हो

क्यों  हर बार मेरा गुनाह याद दिलाती हो
क्या तुम्हे मायके की याद नहीं आती,
 हर एक त्यौहार ससुराल में मानती हो
क्यों  हर बार मेरा गुनाह याद दिलाती हो .....


          ...B.S.Gurjar ..

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